Tuesday, January 28, 2025

मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के बनने में दक्षिण एशियाई महिलाओं की भूमिका




 This book in Hindi about the Role of South Asian Women in the Making of the Universal Declaration of Human Rights is available at Amazon https://amzn.in/d/8PUJ2G3

It argues that the UDHR is a basic and significant document that asserts the rights of the marginalized. When the dominant discourse in South Asia considers human rights as a Western concept, this book argues that people from South Asia played a crucial role in the framing of the document. 

मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) 1948 एक मूलभूत और सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह दुनिया भर के सभी लोगों, विशेष रूप से हाशिए पर लोगों के अविभाज्य, बुनियादी मानवाधिकारों के बारे में है। दक्षिण एशिया में कई लोग मानवाधिकारों को एक विदेशी, यूरोसेंट्रिक (Eurocentric) या पश्चिमी (Western) के रूप में बदनाम करते हैं, या फिर यह मानते हैं कि केवल पुरुषों ने ही इसे बनाने में योगदान दिया है। इसके विपरीत, इस पुस्तिका में यह तर्क दिया गया है कि

सबसे पहले, UDHR द्वारा उल्लिखित मानवाधिकार वैश्विक स्तर पर साझा की जाने वाली सार्वभौमिक सामूहिक आकांक्षाएँ हैं। यूडीएचआर एक अलग विश्व व्यवस्था के उद्भव के बारे में है।

दूसरे, UDHR के ढांचे को आकार देने में गैर-पश्चिमी महिलाओं, जिनमें दक्षिण एशिया की महिलाएं भी शामिल हैं,  उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसलिए, मानवाधिकारों को 'विदेशी' के रूप में खारिज करना तीसरी दुनिया के प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका को नकारना है। विशेष रूप से, 'उसकी कहानी' (her-story) को पहचानना और इस महत्वपूर्ण दस्तावेज़ को बनाने में दक्षिण एशियाई महिलाओं की भूमिका को reclaim करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।


"घर के नज़दीक छोटी-छोटी जगहें - इतनी नज़दीक और इतनी छोटी कि उन्हें दुनिया के किसी भी नक्शे पर नहीं देखा जा सकता। फिर भी वे एक व्यक्ति की दुनिया हैं; वह पड़ोस जिसमें वह रहता है; वह स्कूल या कॉलेज जहाँ वह जाता है; वह कारखाना, खेत या दफ़्तर जहाँ वह काम करता है। ये वे जगहें हैं जहाँ हर पुरुष, महिला और बच्चा बिना किसी भेदभाव के समान न्याय, समान अवसर, समान सम्मान चाहते हैं। जब तक इन अधिकारों का वहाँ कोई मतलब नहीं होगा, तब तक उनका कहीं भी कोई मतलब नहीं है। घर के नज़दीक उन्हें बनाए रखने के लिए नागरिकों की एकजुट कार्रवाई के बिना, हम बड़ी दुनिया में प्रगति की उम्मीद व्यर्थ ही करेंगे।"

Eleanor Roosevelt 1948  

एलेनोर रूजवेल्ट, 1948 में मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के संयुक्त राष्ट्र आयोग की अध्यक्ष।

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