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जब घूंघट बना परचम इंक़लाब का: हिजाब, नारीवाद और निरंकुशता

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  जब घूंघट बना परचम इंक़लाब का: हिजाब, नारीवाद और निरंकुशता 09 Jan 2023 सदियों से  पुरुष प्रधान समाज  महिलाओं पर विभिन्न प्रकार की रोक लगाता जा रहा है - कभी पहनावे को लेकर, कभी आने जाने पर, कभी पढ़ाई या काम करने पर रोक को लेकर। हर बार पुरुष यह तय करते हैं कि  महिलाओं को क्या पहनना चाहिए ,  कैसे रहना चाहिए,  कहाँ जाना चाहिए, कब या किस से विवाह करें इत्यादि, यह गलत है। जब धर्म, समाज और सरकारें, सब मिलकर महिलाओं को जंजीरों में बांधने पर तुले हैं और उन पर तरह-तरह से प्रतिबंध लगा रहे हैं, तब महिलाएं उन जंजीरों को तोड़ रहीं हैं और क्रांति के नए रास्ते बना रहीं हैं। और अब फिर से एक बार हिजाब को राजनीतिक हथियार बनाया जा रहा है । हाल ही में हिजाब को लेकर कई निरंकुश सरकारें महिलाओं पर प्रतिबंध लगा रहीं हैं और अब इसे लेकर एक क्रांति हो रही है, जब घूंघट या हिजाब बन रहा है परचम इंक़लाब का।  तानाशाही के विरुद्ध क्रांति की लहरें ईरान की कुख्यात "नैतिक पुलिस"  द्वारा तेहरान में गिरफ्तार किए जाने के बाद मारी गई एक 22 साल की युवती  महसा अमिनी की मौत के विरोध  में ईरानी महिलाएं अपने हिजाब जला र
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  लिव-इन रिलेशनशिप में महिलाओं के खिलाफ हिंसा और कानूनी सुरक्षा 04 Jan 2023 हाल ही में कई मामलों में  लिव-इन रिलेशनशिप  में रहने वाली महिलाओं को भीषण हिंसा का शिकार बनाया गया और उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई। मीडिया द्वारा इसे सनसनीखेज बनाया गया। ' लव जिहाद ' या ' ऑनर किलिंग ' की पितृसत्तात्मक धारणाओं को उकसाते हुए महिलाओं को उनकी पसंद से शादी करने और अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक संबंध रखने के लिए दोषी ठहराया। इस बयानबाजी में जो अनदेखा किया गया वह यह है कि महिलाओं को 'अरेंज्ड मैरिज' सिस्टम में भी हिंसा का सामना करना पड़ रहा है, जैसा कि आईपीसी की धारा 498ए (घरेलू हिंसा कानून), आईपीसी की धारा 304बी (दहेज कानून) और संरक्षण के तहत बढ़ते मामलों से स्पष्ट है। इसके अलावा, कानून और नैतिकता के बारे में बहस में, महिलाओं पर ही परिवार की इज़्ज़त का ज़िम्मा डाल दिया जाता है, जबकि पुरुष को किसी भी प्रकार के दायित्व से अलग रखा जाता है। लिव-इन रिलेशनशिप से जुड़े कई मामलों में अदालतों ने महिलाओं के अधिकारों का विस्तार किया है, फिर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। मौजूदा स्थिति को ध्य
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  दहेज प्रथा अभी भी क्यों कायम है जब कानून द्वारा इसे प्रतिबंधित कर दिया गया? 30 Dec 2022 शिंदे ने तब समाज में व्याप्त गहरी असमानताओं पर सवाल उठाए। परिवारों और समाजों के भीतर संरचनात्मक भेदभाव और असमानताओं से संबंधित ये प्रश्न आज के संदर्भ में अभी भी मान्य हैं और इन पर चर्चा, बहस और उत्तर की आवश्यकता है।  हर दिन मरने से एक बार मरना बेहतर है ... हम मरना नहीं चाहते हैं लेकिन मौत उनके दुर्व्यवहार से बेहतर है"। "हमारी मौत का कारण हमारे ससुराल वाले हैं"।  कमलेश, ममता और मीना का अपने एक रिश्तेदार को एक व्हाट्सएप संदेश (तीन बहनें जिन्होंने जून 2022 में साथ आत्महत्या कर ली थी)  जून 2022 में, तीन बहनें , कमलेश, ममता (दोनों गर्भवती थीं) और मीना, चार साल के बच्चे और एक 22 दिन के शिशु के साथ एक कुएं में मृत पाई गईं। घटना जयपुर के बाहरी इलाके में एक गांव की है। बहनों ने शायद पूरी तरह असहाय अवस्था में आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने वैवाहिक परिवार को, जिसने मोटी रकम की मांग की, दोषी ठहराते हुए यह संदेश छोड़ा। बहनों ने तीन भाइयों के साथ एक ही घर में शादी की। उनके पिता सरदार मीणा ने बताय